Tuesday, June 3, 2008

एक सुबह भीगी सी!

कई बार से कोशिश कर रहा था की ताल के किनारे कुछ पल बिताऊँ। हर बार नौकुचिया ताल आता पर ताल न जा पाता। इस बार सोच लिया था की जाना ही है। रात कुछ ज्यादा ही काली होती है पहाड़ों में। दरअसल प्रकाश प्रदूषण कम होता है यहाँ। सप्तर्षि मंडल की चमक कुछ ज्यादा ही होती है शहरों के अपेक्षा। हलकी हलकी ठंडक कमरे में तब भी थी जब के खिड़की दरवाज़े सब बंद थे। किसी के दरवाज़ा खोलने पर सिहरन सी दौड़ जाती थी। रात गुजर गयी बातों ही बातों में। रेनू से काफी दिन बाद मिला था उस दिन। हमने रात को ही सोच लिया की सुबह जल्द से जल्द निकल जायेंगे ताल के किनारे।

सुबह कब हो गयी पता ही न चला। एक अलसाई सुबह कोहरे के आगोश में कड़ाके की ठंड के साथ इंतज़ार कर रही थी मेरा। रेनू उठ कर अपने कार्यों में व्यस्त हो चुकी थी, हमेशा की तरह। मैं यूं ही चल पड़ा ताल की ओर। बहुत छोटेपन से मुझे पानी के केनारे बेहद पसंद हैं। ताल के किनारे चहलकदमी करते हुए यूं ही दूर तक चला जाना अच्छा लग रहा था। सुबह की सर्द और नम हवाएँ अंतर्मन को भीगो रही थीं। चंद अनजाने चेहरे, मुझे पहचानने की कोशिश करते आते-जाते दिख जाते। ताल के चारों ओर घूम लेने के बाद मुझे एहसास हुआ कि घर पर सब इंतज़ार कर रहे होंगे। काफी समय बीत चुका था और सूरज भी उदय हो चुका था। वहीं रोड के किनारे कुछ दुकाने भी खुल गयी थीं.. कुछ बुजुर्ग एक मेज़ के किनारे बैठे थे। मैंने अभी उन्हें पार किया ही था के एक आवाज़ आयी "तुम्हारी चाल"... मुझे लगा शायद किसी ने मुझसे कुछ कहा. पीछे मुड़ के देखा तो वह शतरंज खेल रहे थे।

मेरे कदम ख़ुद बा ख़ुद उस और मुड़ गए जहाँ शतरंज की बिसात बिछी थी। कुछ बुजुर्ग चेहरे चारों ओर जमा थे. ....

10 comments:

bijnior district said...

हिंदी लिखाड़ियों की दुनिया में आपका स्वागत। खूब लिखे। बढ़िया लिखें ..हजारों शुभकामनांए

संगीता पुरी said...

बहुत सुंदर...आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है.....आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे .....हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

Prakash Badal said...

आपका स्वागत है आप इसी तरह अच्छा लिखते रहें ऐसी मेरी कामना है।

अभिषेक मिश्र said...

Prakriti ke kareeb jane ka ahsas alag hi hota hai.Swagat.

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

मन के भावों का अच्छा चित्रण किया है आपने
हिन्दी चिट्ठाजगत में आपका हार्दिक स्वागत है.
खूब लिखें,अच्छा लिखें

तरूश्री शर्मा said...

सुखद होता है दैनिक चर्या से अलग कुछ करने का सुख। और इसमें अगर प्रकृति का साथ हो तो कहना ही क्या। कुछ ऐसे ही और पल आपको अंतर्मन को भिगो दें और इन एहसासों से आपके दिन तरोताजा हों... इन्हीं शुभकामनाओं के साथ।

Vineeta Yashsavi said...

Bahut achha laga padhe ke. uska ek karan yaha bhi hai ki mai NAINITAL ki rahne wali hu.

Unknown said...

sundar likha hai....isi tarah likhte rahe..

shivani said...

Hame to pata sahi me nahi tha ,tum itana accha likhate ho.Lovely writing , seedhi saadhi bhasa phir bhi pretty. Love to read more!!

Abdullah Abul Kalam said...

बहुत अच्छा है. पर और लिखिए. Keep it up. विविध विषयों पर लेखनी चलिए.

मोहम्मद सलीम